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सादा भोजन एक थे ब्रह्मचारी ज्ञानेन्द्रजी। आत्मार्थ की भावना से भरा हुआ था जिनका हृदय। ज्ञान -ध्यान के अभ्यास में प्रयत्न -पूर्वक लगे रहते थे। बाहरी प्रपंचो से कोसों दूर, ...